Vyas Kashi: महर्षि वेदव्यास ने की थी इस मंदिर की स्थापना, जानिए पूरा इतिहास

by Aniket Seth
0 comment
Vyas-Kashi01
  • तीन दिनों तक काशी में रहे थे भूखे
  • नाराज होकर चले आए व्यास काशी

पड़ाव क्षेत्र के साहुपुरी स्थित महर्षि वेदव्यास मंदिर (Vyas Kashi) की अलग मान्यता व पहचान है. सावन के अलावा यहां पर माघ के महीने और महाशिवरात्रि पर आस्था का संगम होता है. पूर्वांचल के कई जिलों से लोग यहां आकर बाबा दरबार में हाजिरी लगाते हैं.

वेदव्यास मंदिर में देवाधिदेव महादेव की भव्य प्रतिमा है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना महर्षि वेदव्यास ने की थी. जिसके कारण इस मंदिर का नाम वेदव्यास मंदिर पड़ा. हालांकि इस मंदिर की स्थापना कब हुई इसका कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है. यह मंदिर वाराणसी और चंदौली के बॉर्डर से सटे साहुपुरी में स्थित है. कुछ लोग इस जगह को उत्तर काशी भी कहते हैं.

महर्षि व्यास ने बसाई नई काशी

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद महर्षि व्यास काशी भ्रमण को आए. जहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया. व्यास जी ने स्कन्द पुराण के काशी खंड में लिखी कहानियों के अनुसार सुना था कि काशी में कोई भूखा नहीं सोता है. किन्तु उन्हें दो-तीन दिनों तक भूखे रहना पड़ा. इस बात से नाराज़ होकर उन्होंने काशी नगरी को श्राप दिया कि उनका दर्शन-पूजन निष्फल साबित होगा और पांच मील की दूरी पर दूसरी काशी बसाने की ठान ली.

मंदिर के महंत अशोक कुमार पाण्डेय ने बताया कि इस बात की जानकारी मिलते ही भोलेनाथ ने मां अन्नपूर्णा को वेश बदलकर व्यास जी के पास भेजा. देवी अन्नपूर्णा 56 प्रकार के प्रसाद का भोग लेकर ऋषि के पास पहुंची, लेकिन उन्होंने अपने तेज से उन्हें पहचान लिया और उन्हें वापस लौटा दिया.

Advertisement
महंत अशोक कुमार पाण्डेय, वेदव्यास मंदिर

गणेश जी ने कराया श्राप मुक्त

महंत ने बताया कि बाद में गणेश जी ने व्यास जी के क्रोध को शांत करने और काशी को श्राप मुक्त कराने के लिए व्यास जी की सेवा करने और काशी को श्राप मुक्त करने का उपाय पूछने गए. एक दिन गणेश जी से प्रसन्न होकर व्यास जी ने उनसे वरदान मांगने को कहा. तब उन्होंने काशी को श्राप से मुक्त करने का वरदान मांग लिया.

Also Read:

Mashashivratri Shiva Barat: : 10 तस्वीरों में देखिए काशी की अनोखी शिव बारात

Pakistani Mahadev: काशी में गंगा किनारे स्थित है पाकिस्तानी महादेव का मंदिर, आजादी के काल में हुई थी स्थापना

मंदिर के बाहर विराजमान हैं नंदी

इसके बाद उन्होंने काशी को श्राप मुक्त किया और गणेश जी को महाभारत रचना को लिखने के लिए तैयार भी किया. साथ ही यह भी कहा कि व्यास मंदिर में दर्शन किए बिना काशी का पुण्य नहीं मिलेगा. तभी से इस स्थान पर व्यास मुनि को भोजन बनाकर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. मंदिर के अन्दर शिवलिंग की स्थापना की गई है और बाहर नंदी भी विराजमान हैं.

कई देवी-देवताओं के भी मंदिर

कालांतर से अब तक इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार हुआ है. महर्षि वेदव्यास सेवा समिति द्वारा संचालित मंदिर के भीतर प्रथम पूज्य गणेश, पवन पुत्र हनुमान, मां शीतला, मां आदिशक्ति दुर्गा, मां संकठा, मां संतोषी के भी मंदिर हैं. इसकी देखभाल स्थानीय लोग करते हैं.

You may also like

Leave a Comment

cropped-tffi-png-1.png

Copyright by The Front Face India 2023. All rights reserved.