तुर्की और सिरिया में भूकंप से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. यहां अब तक कुल 11,224 मौतें हुई हैं. वहीँ घायलों की संख्या भी 35 हजार से ज्यादा हो गई है. वहीँ दोनों देशों की मदद के लिए 70 से भी ज्यादा देश आगे आए हैं. इसी क्रम में भारत भी ऑपरेशन ‘दोस्त’ के तहत मदद भेज रहा है.
तुर्की में एक ओर जहां भूकंप ने जनजीवन को काफी प्रभावित किया है. वहीँ भूकंप के बाद यहां का तापमान भी लोगों की जान लेने पर आतुर है. तुर्की के कई शहरों में तापमान 9 से माइनस 2 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में लोगों को हाईपोथर्मिया होने का खतरा ज्यादा है. भूकंप के बाद बेघर हुए और किसी तरह जान बचा पाने वाले लोग सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं. जिसके कारण वे बीमार पड़ रहे हैं.
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UN ने कहा है कि बारिश और बर्फ़बारी के कारण भूकंप से प्रभावित दोनों देशों में बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है. इमरजेंसी सर्विस की टीमों को रेस्क्यू में काफी दिक्कतें हो रही हैं. एपिसेंटर वाले गजियांटेप शहर के लोगों का कहना है कि तबाही के 12 घंटे बाद भी उन तक मदद नहीं पहुंची थी.


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10 फीट खिसका तुर्की
भूकंप का एपिसेंटर तुर्की था. इसे देखते हुए एक्सपर्ट्स का कहना है कि यहां टैक्टोनिक प्लेट्स 10 फीट (3 मीटर) तक खिसक गईं. दरअसल, तुर्की 3 टैक्टोनिक प्लेट्स के बीच बसा हुआ है. ये प्लेट्स हैं- एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट, यूरोशियन और अरबियन प्लेट.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट और अरबियन प्लेट एक दूसरे से 225 किलोमीटर दूर खिसक गई हैं. इसके चलते तुर्की अपनी भौगोलिक जगह से 10 फीट खिसक गया है. इटली के सीस्मोलॉजिस्ट डॉक्टर कार्लो डोग्लियोनी ने बताया कि टैक्टोनिक प्लेट्स में हुए इस बदलाव के चलते हो सकता है कि तुर्की, सीरिया की तुलना में 5 से 6 मीटर (लगभग 20 फीट) और अंदर धस गया हो. उन्होंने कहा- हालांकि ये जानकारी शुरुआती डेटा से मिली है. आने वाले दिनों में सैटेलाइट इमेज से सटीक जानकारी मिल सकेगी.