Pakistani Mahadev: काशी में गंगा किनारे स्थित है पाकिस्तानी महादेव का मंदिर, आजादी के काल में हुई थी स्थापना

by Aniket Seth
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इस मंदिर का नाम नगर निगम के साथ साथ विकास प्राधिकरण में भी पाकिस्तानी महादेव (Pakistani Mahadev) के नाम से ही दर्ज है। जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि यह पाकिस्तानी शिव मंदिर है।

वाराणसी। तीनों लोकों से न्यारी काशी नगरी के कण-कण में भगवान शिव का वास है। ऐसी मान्यता है कि यह शहर भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिका हुआ है। यहां घाटों के अलावा गली-गली में पुरातन काल से ही शिवलिंगों की स्थापना हुई है। जो वर्तमान में भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां काशी विश्वनाथ, मृत्युंजय महादेव, मारकंडेय महादेव, विश्वेश्वर महादेव, केदारेश्वर महादेव सहित सैकड़ों शिवलिंग विराजमान हैं। इसी में एक पाकिस्तानी महादेव का मंदिर भी है, जिसे कम लोग ही जानते होंगे। लेकिन जो जानते हैं, उनके लिए यह मंदिर आस्था का एक अनुठा केंद्र बन गया है।

पीढ़ियों से लोग इस शिव लिंग की पूजा कर रहे हैं। गाय घाट के समीप राजमंदिर क्षेत्र के शीतला घाट पर स्थित यह मंदिर राजघाट पुल से काफी करीब है। गाय घाट मार्ग की तंग गलियों से गुजरकर जैसे ही आप शीतला घाट पर सीढ़ियों से उतरेंगे, तभी आप सीढ़ियों के दाहिनी ओर पाकिस्तानी महादेव का यह अलौकिक मंदिर देखेंगे। सफेद दुधिया रंग का यह शिव लिंग आप को अपनी ओर आकर्षित करेगा। बाबा के इस स्वरूप की कहानी दशकों पूरानी है। जिसका नाम सुनकर सभी को इनके बारे में जानने की उत्सुकता होती है। बंटवारे की दास्तान बयां करने वाले इस शिवलिंग का नाम सरकारी दस्तावेजों में भी पाकिस्तानी महादेव के नाम से दर्ज है।

शिवलिंग और मां गंगा का है संबंध

मां गंगा की अविरल धारा में स्नान करने के बाद पाकिस्तानी महादेव के दर्शन से महाशिवरात्रि और सावन में मनचाही मुराद पूरी करते हैं। वहीं खास मान्यता यह भी है कि शिवलिंग को पतित पावनी मां गंगा के जल में पूरी तरह डूबा देने से कड़कती धूप में भी बारिश होती है।

अभिलेखों में दर्ज है ‘पाकिस्तानी महादेव’

मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह बात सिर्फ कहावत नहीं है। इस मंदिर का नाम नगर निगम के साथ साथ विकास प्राधिकरण में भी पाकिस्तानी महादेव के नाम से ही दर्ज है। जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि यह पाकिस्तानी शिव मंदिर है।

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सावन में लगता है भक्तों का रेला

शिव को सावन मास अति प्रिय है। ऐसे में लाखों की संख्या में भक्त काशी का रुख करते हैं। इस दौरान काशी में आने वाले भक्तों का रेला लगा रहता है। ये शिव भक्त शीतला घाट पर स्थित पाकिस्तानी महादेव मंदिर में भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

काशी बोलते ही लोगों की जुबान पर महादेव का नाम आ जाता है। यहां के घाटों और संकरी गलियों में प्राचीन काल से ही तमाम शिवलिंगों की स्थापना की गई है। जो आज भी लोगों के लिए आस्था के केंद्र बने हुए हैं। मच्छोदरी इलाके से कुछ दूर शीतला घाट पर ऐसे ही एक शिवलिंग की चर्चा लोगों में कौतूहल पैदा करती है। इसे लोग पाकिस्तानी महादेव के नाम से जानते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सरकारी दस्तावेजों में भी इस मंदिर का नाम पाकिस्तानी महादेव के नाम से दर्ज है। अब सवाल यह उठता है कि इस मंदिर का नाम पाकिस्तान से क्यों जोड़ा जाता है।

यह है मंदिर का इतिहास

यह बात सन 1947 हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के समय की है। उन दिनों देश में हालात कुछ ठीक नहीं थे। पूरा देश दंगों की आग में जल रहा था। इसी दौरान बंगाल में भी दंगा भड़कने से वहां के लोग देश के अन्य हिस्सों में पलायन को मजबूर हो गए। इनमें से एक जानकी बाई बोगड़ा का परिवार भी जो पहले काशी के ही रहने वाले थे। पश्चिम बंगाल से पलायन कर फिर से यहां आ गए।

बंगाल में जहां इनका परिवार रहता था, उन्होंने वहीं एक शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे पलायन के समय काशी ले आए। परिवार के साथ जब ये मछोदरी स्थित शीतला घाट किनारे गंगा में शिवलिंग का विसर्जन करने लगे तो वहां के कुछ पुरोहितों ने उन्हें विसर्जन करने से रोका और मंदिर की स्थापना कराई। बंटवारे के दौरान पश्चिम बंगाल से लाए गए इस शिवलिंग का लोगों ने नाम भी पाकिस्तानी महादेव रख दिया। जिसे आज भी इसी नाम से पूजा जाता है।

इन्होने की मंदिर की स्थापना

मंदिर के पुजारी अजय कुमार शर्मा ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना के लिए बूंदी स्टेट के अखाड़ा परिषद द्वारा स्थान दिया गया था। जिसे रघुनाथ व मुन्नू महाराज के सहयोग से स्थापित कराया गया। बाद में कई लोगों द्वारा मंदिर की पूजा का दायित्व लिया। 2008 से हम यहां पूजा अर्चना करते हैं। हमारी अनुपस्थिति में परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा नियमित पूजा की जाती है।

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