Taj Divided by Blood Review: प्यार, बादशाहत और खूंखार दरिंदगी की कहानी है ‘ताज’

by Abhishek Seth
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Taj Divided by Blood Review

अनारकली, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही लोगों को सलीम और अनारकली के मोहब्बत के किस्से याद आने लगते हैं। वही अनारकली, जिसे बादशाह अकबर ने निर्ममता से जिंदा दीवार में चुनवा दिया था। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है? जिस अनारकली को अकबर ने दीवार में चुनवा दिया, वो अचानक से जिंदा हो जाए ! या फिर आपको पता चले कि जिस अनारकली से सलीम प्रेम करता था, वह रिश्ते में उसकी महबूबा नहीं, बल्कि उसकी मां लगती है। पड़ गए न अचरज में ! इसकी पूरी सच्चाई जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी ‘ताज – डिवाइडेड बाय ब्लड’।

वैसे तो इस देश पर कई विदेशी ताकतों ने वर्षों तक राज किया है। लेकिन इनमें लम्बे समय तक मुगलों और अंग्रेजों ने राज किया है। दोनों ने लगभग 200 सालों तक इस देश पर राज किया। मुगलों ने भारत पर कई अत्याचार किये। मुगलवंश की स्थापना 1526 ई० में तैमूर और चंगेज़ खान के वंशज बाबर ने की थी। उसके बाद उसके बेटे हुमांयु ने मुग़ल सल्तनत की कमान संभाली।

हुमायूं ने पाने बड़े बेटे अबूल-फतह जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 1556 में हुमांयु की मृत्यु के बाद महज 9 वर्ष की आयु में अकबर को सम्राट बना दिया गया। अकबर ने लम्बे समय तक मुग़ल सल्तनत की कमान अपने हाथों में रखी। अकबर वैसे तो पूरी दुनिया को जीत लेता है, लेकिन जहां पर वह हारता है, वे हैं उसके तीन बेटे – सलीम, मुराद और दानियाल। वैसे तो मुगलिया सल्तनत में सत्ता हमेशा बड़े बेटे के हाथ में होती है। लेकिन इस बार अकबर ने बड़े बेटे को उत्तराधिकारी बनाने के बजाय योग्य बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया। बस यहीं से शुरुआत होती है, सत्ता के लालच और एक दुसरे के खून के प्यासे भाइयों के सत्ता पाने के जद्दोजहद की। इसी कहानी पर आधारित है ‘ताज – डिवाइडेड बाय ब्लड’।

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अकबर का बड़ा बेटा सलीम हमेशा शराब और शबाब की दुनिया में खोया रहता है। उसे अय्याशी के अलावा किसी और चीज़ में कोई रूचि नहीं। चूंकि वह जोधा और अकबर का बेटा है, तो उसके रगों में राजपूताना खून भी दौड़ रहा, लेकिन उसे इसमें कोई रूचि नहीं। सलीम से छोटा मुराद हमेशा खून का प्यासा रहता है। जैसे जंगल में भूखा भेड़िया अपने और दुश्मन के खून में फर्क नहीं समझता, ठीक वैसे ही मुराद को भी बस खून बहाने की जल्दी है, चाहे वह किसी अपने का हो, या बेगाने का। छोटा बेटा दानियाल, वह अल्लाह की इबादत में हमेशा व्यस्त रहता है। उसे अल्लाह के अलावा अन्य किसी चीज़ का मोह नहीं है।

रॉन स्कैल्पेलो के निर्देशन में बनी वेब सीरीज ‘ताज डिवाइडेड बाय ब्लड’ में नसीरुद्दीन शाह, अदिति राव हैदरी, आशिम गुलाटी, ताहा शाह, शुभम मेहरा, संध्या मृदुल, जरीना वहाब, दीपराज राणा और धर्मेंद्र अहम भूमिका हैं। मुगल साम्राज्य के विस्तार पर बनी इस सीरीज में प्यार, वासना, नशा, राजनीति, कूटनीति, धोखा सहित हर रंग देखने को मिलता है। इसमें नसीरुद्दीन शाह ने मुगल सम्राट अकबर, अदिति राव हैदरी ने अनारकली, आशिम गुलाटी ने सलीम (अकबर का बेटा), ताहा शाह बादुशा ने मुराद, शुभम कुमार मेहरा ने दानियाल, संध्या मृदुल ने जोधा (अकबर की पत्नी) और जरीना वहाब ने सलीमा और दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने शेख सलीम चिश्ती का किरदार निभाया है।

यह वेब सीरीज पूरी तरह से हत्या, लड़ाई और मुगलों के बारे में है। इसमें ड्रग्स, एल्कोहल और अय्याशी का पूरा तड़का लगाया गया है। साइमन फैंटुजो और विलियम बोर्थविक द्वारा लिखित इस पीरियड ड्रामा में सम्राट अकबर (नसीरुद्दीन शाह) की रोमांचक कहानी दिखाई गई है, जिसमें वो अपने सबसे योग्य बेटे को अपना राज्य देने की तैयारी करता है। यह मिशन कहना आसान है, लेकिन करना आसान नहीं है, क्योंकि महल की आंतरिक राजनीति, उसके बेटों की अपनी महत्वाकांक्षाएं और अकबर का खुद का गौरव इसके आड़े आ जाते हैं। इसके साथ ही अनारकली जैसी सुंदर महिला के लिए बाप-बेटे की बीच जंग भी दिलचस्प है।

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10 एपिसोड के इस वेब सीरीज की शुरुआत अकबर के काल से होती है। जब लाखों हिन्दुओं का क़त्ल करके अकबर अपने आपको बादशाह समझता है। साथ ही वह अपने वंश आगे बढ़ाने को चिंतित दिखाई देता है। इसके बाद की कहानी अकबर के बेटों के जन्म लेने और उनके बड़े होने पर उनके उत्तराधिकारी बनने की है। अकबर अपने गद्दी का उत्तराधिकारी चुनने के लिए अपने शहजादों को एक न्य फरमान देते हैं कि गद्दी का वारिस उनका योग्य बेटा ही बनेगा। इसकी परीक्षा के लिए तीनों शहजादों को एक टास्क दिया जाता है, जिसमें मुराद विजयी होता है। इधर, अकबर का छोटा भाई मिर्जा हकीम (राहुल बोस) काबुल से हिंदुस्तान आकर आक्रमण की तैयारी कर रहा होता है। उसे रोकने के लिए अकबर अपने बेटों को भेजता है।

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काबुल हमले के लिए भेजी गई सेना की कमान मुराद के हाथों में होती है। मुराद बेहद आक्रामक और निर्दयी है। उसका भाई सलीम हमेशा शराब और शबाब के नशे में डूबा रहता है। हालांकि, उसके रगों में मुगल और राजपूत का खून दौड़ रहा है, इसलिए वीरता उसका सबसे बड़ा गुण है। वहीं, सबसे छोटा दानियाल बेहद धार्मिक और पांचों वक्त का नमाजी है। तीनों भाई काबुल में अपने चाचा के महल हमला कर देते हैं। एक लंबी लड़ाई के बाद उनको जीत मिलती है। उसकी फूफी पकड़ी जाती है, लेकिन मिर्जा हकीम अपने बेटों के साथ वहां से भाग जाता है। मिर्जा पकड़ा जाता है या नहीं, अकबर किसे अपना उत्तराधिकारी घोषित करता है, अनारकली का क्या होता है, जानने के लिए आपको दस एपिसोड की पूरी वेब सीरीज देखनी होगी।

चूंकि कहानी ऐतिहासिक है, और देश के वर्तमान हालात काफी सेंसेटिव हैं। इसलिए मुगलिया सल्तनत की इस वेब सीरीज के डायरेक्शन की हिम्मत किसी बॉलीवुड के राइटर या प्रोडूसर में नहीं हुई। इसकी कमान विदेशी निर्देशक और लेखकों के हाथ में हैं। अभिमन्यु सिंह और रुपाली कादयान का कहना है कि इस सीरीज के निर्देशन के लिए मुंबई में कोई निर्देशक तैयार नहीं हुआ तो मजबूरन उन्हें हॉलीवुड से निर्देशक लाना पड़ा। रॉन स्कैल्पेलो, साइमन फैंटुजो और विलियम बोर्थविक की टीम विदेशी होते हुए भी जिस तरह से कहानी पर काम किया है, उसकी तारीफ करनी होगी।

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कहानी की शुरुआत थोड़ी धीमी है। शुरू के एक-दो एपिसोड जैसे ही खत्म होते हैं। कहानी दिलचस्प होती जाती है। किरदारों को इस तरह से गढ़ा गया है कि हर कलाकार उसमें रम गया है। हालांकि, इस वेब सीरीज को इससे ज्यादा रोमांचक बनाया जा सकता था।

कलाकारों के अभिनय की जहां तक बात है तो हर किसी ने औसत से बेहतर परफ़ॉर्म किया है। यहां कास्टिंग पर सवाल खड़ा किया जा सकता है। मतलब किरदार के अनुरूप कलाकारों का चयन नहीं हुआ है। लेकिन जिस कलाकार को जो भी किरदार दिया गया है, उन्होंने ईमानदारी से उसे निभाने की पूरी कोशिश की है। सम्राट अकबर के किरदार में नसीरुद्दीन शाह खटकते हैं। उम्र और फिटनेस उनके आड़े आ जाती है। अनारकली के किरदार में अदिति राव हैदरी बहुत सुंदर लगी हैं। लेकिन उनके किरदार को विस्तार दिया जाना चाहिए था। कुल मिलाकर, ‘ताज डिवाइडेड बाय ब्लड’ को औसत से बेहतर वेब सीरीज कहा जा सकता है। यदि आप मुगल इतिहास को जानने में दिलचस्पी रखते हैं, तो इसे देख सकते हैं।

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