Rangbhari Ekadashi 2023: रजत पालकी पर सवार होकर मां गौरा आईं ससुराल, भक्तों ने बाबा संग खेली होली

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  • (Rangbhari Ekadashi 2023) भक्ति के रंग में रंगा श्री काशी विश्वनाथ धाम
  • कॉरिडोर बनने से लोगों को हुई सुविधा
  • रंगभरी एकादशी से काशी में होली की शुरुआत

वाराणसी। रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi 2023) पर काशी में हर व्यक्ति एक अलग रंग में रंग नजर आया। सबके चेहरे अबीर और गुलाल से रंगे रहे। महिला हो, या पुरुष, देशी हो या विदेशी सभी गुलाल से रंगे नजर आए। हर कोई काशी के भगवान शिव और मां पार्वती के दर्शनों को लालायित रहा। इस दौरान शिव भक्तों पर अबीर-गुलाल की खूब बौछार की गई। अबीर-गुलाल की बौछार से शायद ही कोई भक्त बच पाया होगा। रंगभरी एकादशी के साथ ही काशी में होली का आगाज हो गया।

महंत आवास बना मां पार्वती का मायका

बाबा विश्वनाथ को अर्पित करने के लिए मथुरा से खास तौर पर गुलाल मंगाया गया था जिसे देवाधिदेव महादेव और माता गौरा को अर्पित कर दिया गया। रंगभरी एकादशी पर बांसफाटक से लेकर टेढ़ीनीम व डेढ़सीपुल से लेकर काशी विश्वनाथ धाम और हर गलियों में युवा नगाड़ों के बीच नाचते झूमते नजर आये। टेढ़ीनीम स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा। कुलपति तिवारी का आवास उत्सव स्थल बना रहा। जिसे मां पारवती का मायका भी कहा जाता है। आवास के बाहर होली खेले मसाने में के बीच अबीर गुलाल से सराबोर सभी नाचते नजर आये। भारी भीड़ के चलते टेढ़ीनीम जाने वाले मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई थी। इसमें सीमित लोगों को ही गली में प्रवेश दिया जा रहा था। बावजूद इसके लोगों का आना जाना लगा रहा। पूरी गली खचाखच भरी रही।

ग्यारह वैदिक ब्राह्मणों ने कराया पूजन

महंत आवास पर ब्रह्म मुहुर्त में बाबा का पूजन प्रारंभ हुआ। पं। सुशील त्रिपाठी के आचार्यत्व में ग्यारह वैदिक ब्राह्मणों ने बाबा विश्वनाथ व माता गौरा की चल प्रतिमाओं की पंचगव्य तथा पंचामृत से स्नान कराया। तत्पश्चात मंत्रोच्चार के बीच रूद्राभिषेक की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद चल प्रतिमाओं का दुग्धाभिषेक किया गया। भोर में पांच से सुबह आठ बजे तक वैदिक ब्राह्मणों ने षोडसोपचार पूजन किया। बाबा को फलों का भोग लगा कर महाआरती के बाद भक्तों के लिए पट खोल दिया गया। इसके साथ ही टेढ़ीनीम में चल प्रतिमाओं का दर्शन शुरू हो गया। बाबा की भोग आरती महंत डा। कुलपति तिवारी ने की। इसमें सहयोग संजीवरत्न मिश्र ने किया।

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डमरु दल की गड़गड़ाहट के बीच निकली पालकी यात्रा

बाबा विश्वनाथ व माता गौरा की रजत पालकी यात्रा डमरू दल की गड़गड़ाहट व अबीर गुलाल की बौछार के बीच टेढ़ीनीम से निकाली गई। रजत सिंहासन को लोग कंधों पर लेकर चल रहे थे। हर-हर महादेव के भारी उद्घोष के बीच जैसे ही पालकी यात्रा प्रारंभ हुई सर्वत्र अबीर गुलाल की बौछार शुरू हो गई। पूरी गलियां अबीर-गुलाल से पट गया। इस पालकी यात्रा को निहारने के लिए टेढ़ीनीम से लेकर चारों तरफ महिलाएं व पुरुष खड़े थे।

चल प्रतिमा में शामिल होने के लिए पूरी काशी उमड़ी

पालकी यात्रा महंत आवास से प्रारंभ होकर विश्वनाथ गली, साक्षी विनायक, ढुढ़िराज गणेश, अन्नपूर्णा द्वार से विश्वनाथ धाम तक पहुंची जहां पर मंदिर के गर्भगृह में रख दी गई। इस दौरान काशी विश्वनाथ धाम में चल प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। काशी विश्वनाथ दरबार भी अबीर-गुलाल से सराबोर नजर आया।

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