राष्ट्रपति चुनाव: कौन हैं यशवंत सिन्हा? जिनको विपक्ष ने चुना है राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंह के नाम का प्रस्ताव 17 प्रमुख विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में किया है. भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है और मतगणना 21 जुलाई को होगी. यह घोषणा तब हुई जब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (TMC) पार्टी से अपने इस्तीफे की घोषणा की.
ट्वीट में कही ये बात
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं (टीएमसी अध्यक्ष) ममता बनर्जी का आभारी हूं कि उन्होंने टीएमसी में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए मैं आभारी हूं. अब समय आ गया है कि एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग हटकर अधिक से अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए. मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करती हैं.”
I am grateful to Mamataji for the honour and prestige she bestowed on me in the TMC. Now a time has come when for a larger national cause I must step aside from the party to work for greater opposition unity. I am sure she approves of the step.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) June 21, 2022
कौन हैं यशवंत सिंह?
यशवंत सिंह का पेशेवर जीवन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से जनता पार्टी, फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) तक एक रोलरकोस्टर की सवारी जैसा रहा है, और फिर गुमनामी में फिसल गया है. हालाँकि उन्होंने कई मंत्रालयों में काम किया, लेकिन वित्त मंत्रालय को उनके क्षेत्र के रूप में जाना जाता था.
रोलरकोस्टर की तरह रहा है सिंह का राजनैतिक सफ़र
यशवंत सिंह 1984 में IAS से इस्तीफा देने के बाद जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए. उन्हें 1986 में पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया और 1988 में राज्यसभा के सदस्य चुने गए. भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) के दौरान, वह 1998 में हुई पहली पूर्ण-कालिक सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री बने. इससे पहले, उन्होंने चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में भी (नवंबर 1990 से लेकर जून 1991 तक) एक पोर्टफोलियो संभाला था. बाद में, वह भाजपा में शामिल हो गए और तीन वर्षों के कार्यकाल में वित्त मंत्री थे. नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों के एक प्रमुख आलोचक होने के नाते सिंह ने 21 अप्रैल, 2018 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया. यशवंत सिंह पिछले साल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे.
इन्हीं के कार्यकाल में पहली बार सुबह पेश हुआ था बजट
अपने वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने शाम को केंद्रीय बजट पेश करने की औपनिवेशिक युग की परंपरा को तोड़ा. 1998-1999 के बजट सत्र में पहली बार सुबह बजट पेश किया गया और तब से यह प्रथा चली आ रही है. इसके अलावा, उन्हें पेट्रोलियम सेस के माध्यम से नेशनल हाईवे अथोरिटी ऑफ़ इंडिया (NHAI) के वित्त पोषण को बढ़ावा देने का श्रेय दिया गया. इसने पूरे भारत में राजमार्गों के निर्माण को आगे बढ़ाने में मदद की. अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पेट्रोलियम उद्योग को भी विनियमित किया और टेलिकॉम इंडस्ट्री के विस्तार में मदद की. उन्होंने अपनी पुस्तक ‘कन्फेशंस ऑफ ए स्वदेशी रिफॉर्मर’ में वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में विस्तार से बताया है.