ताजमहल या तेजो महालय: ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की हाईकोर्ट में की गई मांग, शिव मंदिर का हो सकता है अस्तित्व

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में हाल ही में एक रिट याचिका दायर की गई है जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है ताकि वहां हिंदू मूर्तियों और शास्त्रों के अस्तित्व का पता लगाया जा सके. याचिका में कुछ इतिहासकारों और कुछ हिंदू समूहों के दावों का हवाला दिया गया है कि स्मारक एक पुराना शिव मंदिर है.
Uttar Pradesh | A petition has been filed in the Allahabad High Court to open the closed rooms of the Taj Mahal
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 9, 2022
In the petition, I have demanded that the 22 rooms of the monument which are closed should be opened to find out the truth: Dr Rajneesh Singh, Petitioner (08.05) pic.twitter.com/L0uC9WdetJ
भाजपा की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की रजिस्ट्री में याचिका दायर की थी. रिट याचिका पर सुनवाई होनी बाकी है. रिट याचिका में, रजनीश सिंह ने कुछ इतिहासकारों द्वारा स्मारक के एक पुराने शिव मंदिर होने के दावों का हवाला दिया, जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था और एक मकबरे में बदल दिया गया था. याचिका में सुझाव दिया गया है कि चूंकि कई हिंदू समूह दावा कर रहे हैं कि ताजमहल एक पुराना शिव मंदिर है, इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए और विवाद को खत्म किया जाना चाहिए.
वकील राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, सिंह ने तर्क दिया कि ताजमहल के तहखाने और ऊपरी मंजिलों में बीस से अधिक बंद कमरे थे, जो जनता के लिए खुले नहीं थे. उन्होंने दावा किया कि उन कमरों में हिंदू मूर्तियाँ और शास्त्र थे जो साबित करते हैं कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर था.
पिटीशन में ताजमहल पर उठाए गए 5 गंभीर सवाल
1. पिटीशन में हवाला दिया गया है कि कई किताबों में ये जिक्र है कि 1212 AD में राजा परमारदी देव ने तेजो महालय बनवाया था, जो बाद में जयपुर के राजा मान सिंह को विरासत में मिला था. यही बाद में राजा जय सिंह को मिला. शाहजहां ने तेजो महालय को तुड़वाकर इसे मकबरा बना दिया था.
2. किसी भी मुगल कोर्ट पेपर या क्रॉनिकल, यहां तक कि औरंगजेब के समय में भी ताजमहल का जिक्र नहीं है. मुस्लिम महल शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं करते. किसी भी मुस्लिम कंट्री में इस शब्द के होने के प्रमाण नहीं हैं.
3. औरंगजेब काल के तीन दस्तावेज हैं- आदाब-ए-आलमगिरी, यादगारनामा और मुरक्का-ए-अकबराबादी. इनमें दर्ज 1652 AD के एक पत्र में औरंगजेब ने मुमताज के मकबरे की मरम्मत के निर्देश दिए. उसमें साफ लिखा है कि मकबरे की हालत ठीक नहीं है. वह कई जगह से रिस रहा है. दरारें पड़ चुकी हैं. मकबरे को 7 माले का बताया गया है. यानी साफ है कि मकबरा औरंगजेब के समय में काफी पुराना हो चुका था, अगर शाहजहां ने बनवाया होता तो कुछ ही सालों बाद यह इतना पुराना नहीं पड़ गया होता.
4. शाहजहां की पत्नी का नाम मुमताज महल बताया गया है. इसीलिए इसका नाम ताजमहल भी रखा गया, लेकिन अगर कोई ऑथेंटिक डाक्यूमेंट्स खंगाले तो पता चलेगा कि मुमताज का नाम मुमताज उल जमानी लिखा गया है.
5. इस कब्र को 1631 में बनाना शुरू किया गया था और 1653 में यह बनकर तैयार हुई. यानी 22 साल इसके निर्माण में लगे. एक कब्र को बनाने में इतना वक्त लगना भी शंका खड़ी करता है.
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