सुशासन बाबू ! बिहारियों को तिल-तिल करके मत मारिए, एक बार में मरने का ऑर्डर दे दीजिए

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बुद्ध, कौटिल्य, महावीर की धरती आज कई मायनों में पिछड़ी हुई है. वह राज्य, जो नालंदा का इतिहास अपने भीतर समेटे हुए है. आज वह शिक्षा के क्षेत्र में पीछे है. प्रिय सुशासन बाबू, आप डेढ़ दशक से ज्यादा समय से सत्ता में हैं. इसके बावजूद आपके राज्य की यह स्थिति है. आपको कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके राज्य में लोग मर रहे हैं.

आदरणीय

सुशासन बाबू

बिहार एक ऐसा राज्य जहां आज शिक्षा से ज्यादा जाहिलियत की चर्चा होती है. जिसका नाम लेते ही शराब की याद आने लगती है, जहां भले ही शराब बंदी हो. और हो भी क्यों न, जहरीली शराब से इतने लोग जो मारे गये हैं. सरकारी आंकड़ों की मानें तो, अभी तक शराब से मरने वालों की संख्या ढाई में है. जबकि ग्रामीणों के अनुसार, इनकी संख्या सैकड़े में है.

मुख्यमंत्री सुशासन बाबू ने बड़े गर्व से कहा कि ‘जो पीयेगा वो मरेगा’. सही बात है कि मुख्यमंत्री को इससे क्या मतलब कि किसी ने अपने परिवार के सदस्य का अंतिम संस्कार चंदा लगाकर करे. बुद्ध, कौटिल्य, महावीर की धरती आज कई मायनों में पिछड़ी हुई है. वह राज्य, जो नालंदा का इतिहास अपने भीतर समेटे हुए है. आज वह शिक्षा के क्षेत्र में पीछे है. प्रिय सुशासन बाबू, आप डेढ़ दशक से ज्यादा समय से सत्ता में हैं. इसके बावजूद आपके राज्य की यह स्थिति है. आपको कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके राज्य में लोग मर रहे हैं.

प्रिय नितीश कुमार, आपके बड़े भाई कहते रहे कि आपके पेट में दांत है. लेकिन राजनितिक फायदे के लिए आपने शब्दों की मर्यादा कम नहीं होने दी. आप पर भरोसा करके बिहारियों ने आपको सुशासन बाबू बनाया. मोदी लहर पर सवार बिहार ने उसके खिलाफ खड़े होने पर भी आपको अपने दिल में बनाए रखा. बिहार आपके लिए तब भी खड़ा हो गया, जब आप अपने उस भाई की गोद में बैठ गये. जिसके जंगलराज से त्रस्त होकर बिहारियों ने आपको अपना नेता स्वीकारा था. बिहार ने तब भी आपको अपने नजरों से नहीं उतारा.

बिहारियों ने आपको तब भी स्वीकारा, जब आपने विकास की कोई गंगा नहीं बहाई. बिहार का कहीं से नाम नहीं होने दिया. आपने कच्चे रास्तों पर सडकें बनवाईं. बड़े होते बिहार के बच्चों ने कभी पक्की सडकें तो देखी नहीं थी. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था का कहीं से भी तंदरुस्त नहीं होने दिया. राज्य में उद्योग और रोजगार के अवसर नहीं पैदा किया. राज्य में पलायन होते रहे. लोग दूसरे राज्यों में कमाने के लिए जाते रहे.


आपको पता है? बिहारियों ने इसके बावजूद आपको सुशासन बाबू माना. आपने सड़कें बनवाईं, ढिबरी युग में कैद लोगों को आपने बिजली दी. पहले लोगों को घरों से रात में निकलने में डर लगता था, आपने नए नये पनपे गुंडों को पकड़’ कर जेलों में ठूँसा. जहां घरों से लोग बोरा लेकर पढ़ने जाते थे. पेड़ के नीचे कक्षाएं लगती थी. आपने पक्के क्लास रूम और बेंच डेस्क दे दिया.

वर्तमान राजनीति की बात की जाय, तो आईटी क्रांति के दौर में इतना करने पर तो सत्ता नहीं मिलती. आपको बिहार ने डेढ़ दशक से ज्यादा का समय दिया है. यह भी सत्य है कि इतने लम्बे समय में आपकी जो पलटी मारने की नीति थी, वह भी कई बार सफल रही. यह बिहारियों का उदार चरित्र ही है कि आप आत्ममुग्ध पड़े हुए हैं. आप इतना ज्यादा आत्ममुग्ध पड़े हुए हैं कि आपको बिहारियों की चीख लल्कार तो सुनाई तक नहीं देती. आपने सही कहा जो पियेगा वो मरेगा. लेकिन यह भी सच है कि जो नहीं पियेगा वह भी मरेगा. आप कोई अश्वत्थामा तो हैं नहीं. प्रकृति सबके साथ न्याय करती है. य्हिजं सबका हिसाब होगा.

बिहार में शराब बंदी है. इसके बावजूद वहां शराब धडल्ले से बिक रही है. आप के ही पार्टी के नेता कहते हैं कि बिहार में शराब भगवान की तरह है. दिखती कहीं नहीं, लेकिन मिलती हर जगह है. वे कौन लोग हैं, जो पुलिस की आँखों में धुल झोंककर बिहार में दारू सप्लाई कर रहे हैं. बिहार के हर चाक-चौराहे पर दारू मिलती है, यह बात आप भी जानते हैं और आपकी पार्टी के नेता भी. फिर यह शराब बंदी जैसी नौटंकी कैसी?

बिहार में शराब कहां से आती है? कौन लोग बेचते हैं? किन्हें कमीशन मिलता है? इन सारी बातों का जवाब आपको बिहार के किसी भी गली के किसी भी नुक्कड़ पर मिल जाएगा. इसलिए यह मानने से हम इंकार नहीं कर सकते कि आपको इसकी खबर नहीं होगी. कई लोगों ने तो यह भी दावा किया है कि आपकी पार्टी दारू और बालू के कमाई से चल रही है. आपने खास पुलिस अधिकारी को इससे उगाही का काम दे रखा है. वैसे भी आप दारू के इतने ही विरोधी होते तो अपने पहले कार्यकाल में हर चौक-चौराहे पर ठेके खोलकर बिहार के गाँव-गाँव में शराबी पैदा न किए होते. ये आपका ही कार्यकाल है जिसने बिहार की पूरी एक पीढ़ी को नशेड़ी बनाया है.

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बिहार कभी भी शराबबंदी का विरोधी नहीं रहा है. शराब उस व्यवस्था का विरोधी है. जिसमें थाने के पास जहरीली शराब मिलती है और उसे पीकर लोग मरते हैं. बिहार उस व्यवस्था का विरोधी है, जिसमें हर गलियों में शराब मिलती है. ये सच है कि सदन में तू तड़ाक भर कह देने से यह मामला ख़त्म नहीं हो जाता.

माना कि आपने स्वाभिमान, लोकलाज, अंतरात्मा की आवाज़ और आदर्शों को कब का तिलांजली दे दी है. लेकिन कम से कम उन बिहारियों को तो याद करिए, जिन्होने आपको मुख्यमंत्री नितीश कुमार से सुशासन बाबू का दर्जा दिलाया था. उन बिहारियों को याद करिए जो आपके बार बार पलटी मारने के बाद भी आपको अपने सिर पर बैठाए रहते हैं. आपसे निवेदन है कि बिहारियों को तिल तल मरने के बजाय एक बार बोल दीजिये कि बिहार में जन्मे हो, तो मरना पड़ेगा. बिहार के बेटों को जंगलराज से नहला दीजिए. लेकिन बिहार को बक्श दीजिए.

भले आपके बड़े भाई की वजह से हम जड़ों से कटकर जिंदा रहने को मजबूर हैं. लेकिन बिहार हम सबके भीतर आज भी जिंदा है. ब्रह्म बाबा की कसम आप जब-जब इस बिहार को आरी से काटते हैं, हम दूर होकर भी दर्द से तड़पते हैं.

एक बिहारी

(जिसने आपको CM नितीश कुमार से सुशासन बाबू का दर्जा दिलाने में अपना योगदान दिया)

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