वाराणसी: दो वर्ष पहले रिलीज़ हुई फिल्म ‘कागज’ याद है? यह फिल्म एक ऐसे आदमी के जीवन पर आधारित है, जिसे पता चलता है कि सरकार ने उसे कागज़ पर मृत घोषित कर दिया है। वह जिंदा होने का प्रमाण देना चाहता है, लेकिन हर जगह लालफीताशाही का सामना करता है।
कुछ ऐसी ही कहानी चौबेपुर क्षेत्र के छितौनी गांव निवासी संतोष मूरत सिंह की है। जो वर्षों से सरकारी दस्तावेजों में मृत हैं। लेकिन कहानी में दिलचस्प मोड़ तब आया, जब सोमवार को पुलिस ने मारपीट, छेड़छाड़ व हरिजन एक्ट के मामले में चौबेपुर पुलिस ने जेल भेज दिया।
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जानकारी के मुताबिक, छितौनी गांव निवासी संतोष मूरत सिंह, जो कई वर्षों से ‘मैं जिंदा हूं’ का बोर्ड गले में टांगें अपने जिंदा होने का प्रमाण दे रहे हैं। संतोष ने बताया कि वे वर्षों पूर्व मुम्बई चले गए थे। वहां वे फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर के बावर्ची के तौर पर कार्य कर रहे थे। लम्बे अरसे समय बाद जब वे घर आए, तो पता चला कि सरकारी अभिलेखों में उसका नाम मृत कर उनके नाम के कई बीघे जमीन गांव के लोगों ने अपने नाम कराकर उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। तभी से वे ‘मैं जिंदा हूं’ का बोर्ड लगाकर घूमते रहते हैं। जब शहर में वीआईपी मूवमेंट होता है तब पुलिस उन्हें थाने बुला लेती है।
न्यायालय के वारंट पर सोमवार को चौबेपुर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बता दें कि इसके ऊपर सन् 2019 में मारपीट, छेड़छाड़,जान मारने की धमकी, एसटीएससी के तहत मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उस मामले में न्यायालय से वारंट था। इसी तरह न्यायालय में उपस्थित न होने पर ओमप्रकाश राजभर निवासी गौरडीह, शेखर राजभर निवासी गौरडीह को भी न्यायालय के वारंट पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।